शिक्षकीय पेशा वाकई महान और अतुलनीय है इसी दृष्टिकोण से
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (सी .टी .ई )रायपुर के सभागार में आज 5 सितंबर 2018 को शिक्षक दिवस पूर्ण उत्साह के साथ मनाया गया जिसमें छात्रधायापको द्वारा अपने प्राध्यापकों को श्रीफल और लेखनी भेंट में देते हुए उनके सम्मान में स्वागत नृत्य, गायन,(हिंदी /अंग्रेज़ी)कविता पाठ किया गया । साथ ही संस्था में कार्यरत सहायक प्राध्यापकों की व्यक्तिगत प्रोफाइल का प्रदर्शन पी. पी .टी के माध्यम से किया गया जिसमें उनकी सेवा अवधि का प्रारंभ ,विभिन्न पदभारो और अपने शिक्षकीय जीवन मे उनके द्वारा किये गए अभिन्न कार्य का प्रमुख रूप से उल्लेख किया गया।
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (सी. टी. ई )रायपुर
में महिला समानता दिवस के अवसर (जो कि 26 अगस्त को है)पर आज दिनांक 25.8.18 को पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता और संगोष्ठी का आयोजन किया गया|
संगोष्ठी के निम्नांकित विषय थे
1.भारत के आर्थिक विकास में महिलाओं की भागीदारी
2.परिवर्तनशील समाज मे महिलाओ की भूमिका में परिवर्तन
3.शिक्षा और साहित्य के विकास में महिलाओं की सहभागिता
4.राजनीतिक शुचिता बनाये रखने में महिलाओं का योगदान
5.महिला समानता एक समाजार्थिक मुद्दा
6.महिला समानता बनाम महिला स्वतंत्रता
7.महिला समानता हेतु महिला आरक्षण की अनिवार्यता
उक्त थीमों पर छात्राध्यापको ने बेबाकी से अपने विचार प्रस्तुत किये|
पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल द्वारा श्रीमती पूनम मिश्रा को प्रथम
हितेंद्र पांडेय को द्वितीय और कुमारी फरहीन सिद्दीक़ी को तृतीय स्थान प्रदान किया गया।
कार्यक्रम के अंत मे संस्था के सहायक प्राध्यापक डॉ. डी. के. बोदले जी ने कहा कि आखिर असमानता है तभी समानता का प्रश्न उठता है और वो कहाँ और किस स्तर पर है इस पर चिंतन करने की ज़रूरत है ।साथ ही उन्होंने सबसे पहले अपने घर की माँ ,बहन और बेटियों को शिक्षित कर उन्हें सशक्त बनाने की बात कही
इस कार्यक्रम का समन्वयन श्रीमती मधु दानी के द्वारा किया गया।
हमेशा की भांति शिक्षक प्रशिक्षण में सतत नवाचार पर ज़ोर देने के उद्देश्य से दिनांक 4/8/18 को शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (सी .टी. ई)रायपुर के सभागार में जे .कृष्णमूर्ति द्वारा लिखित पुस्तक शिक्षा क्या है के कंटेंट का मंचन एम .एड प्रथम वर्ष के छात्राध्यापको द्वारा किया गया|
शिक्षा में भय,तुलना और असुरक्षा की भावना को कभी भी स्वीकार नही किया जा सकता ये बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी कल थीं; इसको दिखाने के उद्देश्य से ये नवाचार किया गया जिसमें छात्राध्यापको ने ही शिक्षाविद,मनोवैज्ञानिक, समाजशास्त्री,सामाजिक कार्यकर्ता और प्रयोजन अधिकारी की भूमिका निभाई
उक्त मंचन को एक गरिमामय परिचर्चा के रूप में प्रस्तुत किया गया जिसका निर्देशन ,संवाद लेखन और तकनीकी कार्य सभी को स्वयं छात्राध्यापको ने अंजाम दिया और पूरे सभागार को एक लाइव परिचर्चा का जीवंत रूप दे दिया।
परिचर्चा के अंत मे महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ डी .एन. पाणिग्रही ने छात्राध्यापको के इस प्रयास की काफी सराहना की और डॉ डी .के .बोदले ने शिक्षा को आज के परिद्श्य में समझने और इस पर चिंतन कर पुनः परिभाषित करने की बात कही
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय(सी. टी .ई )रायपुर के सभागार में आज दिनांक 31/7/18 को उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की 138वी जयंती मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ दीपप्रज्वलन ,सरस्वती पूजन और प्रेमचंद जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ तदुपरांत महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापिका डॉ. सीमा अग्रवाल ने प्रेमचंद जी का जीवन वृतांत प्रस्तुत किया । इसके बाद प्रेमचंद की विख्यात रचना बूढ़ी काकी पर बनी लघु फ़िल्म का प्रदर्शन किया गया। कुछ छात्रध्यापको द्वारा प्रेमचंद जी की विभिन्न रचनाओं पर कविता वाचन भी किया गया।बी. एड . द्वितीय वर्ष के छात्रध्यापक श्री संतोष वर्मा ने प्रेमचंद जी की कहानी बूढ़ी काकी जो कि गद्य रूप में है;को काव्य में रूपांतरित किया।
उक्त जयंती समारोह के उपलक्ष्य में श्रुत लेख एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसमे बी. एड एवं एम .एड. के छात्रध्यापको ने हिस्सा लिया। प्रेमचंद जी की अधिकतर रचनाएँ आर्थिक और सामाजिक समस्याओं पर आधारित होती थी ,इसे ही दिखाने के उद्देश्य से अंत मे उनके द्वारा रचित नाटक बैर का अंत पर बीएड प्रथम वर्ष के छात्राध्यपको द्वारा नाटक का मंचन किया गया जिसमें पारिवारिक द्वेष भुलाकर अंत मे सभी एक हो जाते है ।
उक्त कार्यक्रम का संचालन बी.एड अंतिम वर्ष के छात्रध्यापको द्वारा सहा. प्राध्यापक डॉ. सीमा अग्रवाल के मार्गदर्शन में हुआ ।
कार्यक्रम के दौरान प्राचार्य डाॅ. योगेश शिवहरे, समस्त अकादमिक सदस्य, बी.एड. एवं एम.एड. प्रथम तथा द्वितीय वर्ष के सभी छात्राध्यापक की उपस्थित रही।
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (सी .टी. ई) रायपुर में दिनांक 28/7/18 को एक नई पहल के तहत महाविद्यालय के छात्राध्यापको द्वारा फौजी भाइयों के लिए स्वयं के हाथों से राखी बनाकर बंद लिफाफे में भेजा गया । राखी के साथ ही बहनों ने भाइयों के लिए लिखित रूप में शुभकामनाएं भी प्रेषित की।
उक्त पहल के चलते सभी छा्त्राध्यापको के सभागार में एकत्र होते ही पूरा हॉल जय जवान,जय किसान के नारों से गूंज उठा ।
महाविद्यालय की यह अभूतपूर्व पहल प्राचार्य डॉ योगेश शिवहरे के संरक्षण, समस्त अकादमिक सदस्य एवं श्रीमती लता मिश्रा और श्रीमती योगेश्वरी महाडिके के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुई ।