21 जून 2019 को महाविद्यालय में पाँचवा अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। योग है अनुशासन, समर्पण। इसका पालन केवल एक दिन नहीं अपितु जीवन भर करना चाहिए। योग के प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। यह हमारे तन ही नहीं वरन् मन और जीवन को भी स्वस्थ बनाता है। यह हमारी पुरातन भारतीय दर्शन का आधार भी है।
21 जून वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है और योग भी मानव को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। इस दीर्घ जीवन में यदि मन, शरीर और बुद्धि का सामंजस्य हो जाए तो मनुष्य को उत्तम और खुशहाल जीवन प्राप्त होता हैं।
योग दिवस के इस महत्वपूर्ण अवसर पर योगाचार्य श्री दीपक पटनायक उपस्थित रहे जिन्होंने अर्धचंद्रासन, भुजंगासन, मकरासन, सहित कई प्रकार के आसनों को कराया, उनका महत्व बतलाया। अंत में प्राचार्य महोदय सहित पूरे महाविद्यालय परिवार जिसमें हमारे बी.एड. और एम.एड. के छात्राध्यापक भी शामिल रहे, सभी ने योग को अपने दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की शपथ ली।
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शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय शंकर नगर रायपुर में आज दिनांक 07/03/ 2019 को "योग साधना कार्यशाला" का आयोजन किया गया।इस कार्यशाला में "योग प्राण विद्या रायपुर "से आये प्रशिक्षकों द्वारा लयबद्ध श्वसन क्रिया,अनावृत चक्र,ह्रदय चक्र एवं ध्यान करना सिखाया गया । शरीर के विभिन्न अंगों के संचालन का भी अभ्यास कराया गया ।इस कार्यशाला का उद्देश्य योग एवं ध्यान द्वारा पृथ्वी की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना तथा विपरीत परिस्थितियों में भी पेड़ों की जड़ की तरह मजबूत बने रहना,सकारात्मक विचारों की ओर प्रवृत्त होना था। इस कार्यशाला में संस्था के प्रभारी प्राचार्य श्री पी सी राव तथा अकादमिक सदस्य उपस्थित थे । प्रशिक्षकगण श्रीमती मीना श्री केतन ढांक, आभा वर्मा ,भारती राठौर, भारती चावड़ा, विजय पिंजनी संगीता मेहता, पारुल नथानी, देवयानी पिंजनी थे । कार्यक्रम के समन्वयक श्रीमती मधु दानी रहीं
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय शंकर नगर रायपुर में आज दिनांक 26 /02/2019 को प्राचार्य डॉ. योगेश शिवहरे के मार्गदर्शन में बाल अधिकार संरक्षण आयोग छत्तीसगढ़ द्वारा ''बाल अधिकारों के संरक्षण के परिप्रेक्ष्य में बच्चों के मानसिक विकास पर शिक्षकों का प्रभाव" के संबंध में उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई । इस कार्यशाला में बाल अधिकार संरक्षण आयोग छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष श्रीमती प्रभा दुबे, सचिव श्री प्रतीक खरे , सदस्य सुश्री टी.आर. श्यामा ,श्री अरविंद जैन तथा संस्था के प्र. प्राचार्य श्री पी. सी. राव एवं सभी अकादमिक सदस्य उपस्थित थे ।इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को बच्चों के अधिकारों को बताना , बच्चों के प्रति संवेदनशील बनाना,तथा इसमें स्वयं की भुमिका से अवगत कराना था । प्र. प्राचार्य श्री राव ने महाविद्यालय में चल रहे गतिविधियों से अवगत कराया। सुश्री टी.आर. श्यामा ने कहा कि बच्चों के मन में शिक्षकों की अमिट छाप रहती है, वहीं पर श्री अरविंद जैन ने आदि से वर्तमान तक शिक्षकों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा की गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय। श्री प्रतिक खरे ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग की आवश्यकता एवं महत्व पर विस्तृत जानकारी दिए। आज शिक्षक को शिक्षक एवं पालक दोनों की भूमिका निभाने की आवश्यकता है, क्योंकि बच्चे बहुत मासूम होते हैं और वे सबसे अधिक शिक्षक पर ही विश्वास करते हैं। बचपन के अनुभव बड़े होने पर व्यक्तित्व पर बहुत गहराई से असर करते हैं अतः भविष्य के अच्छे नागरिक बनाने के लिए हम बच्चों को बेहतरीन ढंग से गढ़े। बच्चे 80% अवलोकन से सीखते हैं। तथा 20% सिखाने से सीखते हैं, अतः शिक्षकों को वही करना चाहिए जो वे बच्चों को सिखाना चाहते हैं। शिक्षकों को स्वयं में परिवर्तन करने की आवश्यकता है। जब 20 नवंबर 1989 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में बाल अधिकार संरक्षण पारित हुआ तथा भारत ने 11 /12 /1992 में उस पर हस्ताक्षर किया तब इसका मुख्य उद्देश्य समानता एवं भेदभाव रहित तथा बच्चों के सर्वोत्तम हित में निर्णय लेना था ।अध्यक्ष श्रीमती प्रभा दुबे ने बच्चों में सहजता एवं सरलता से मुस्कान लाने की बात कहीं। प्राचार्य डॉ योगेश शिवहरे ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कि छात्राध्यापकों को एक अच्छा शिक्षक बनने से पहले अच्छा इंसान एवं संवेदनशील इंसान बनने की बात कही,तथा यह महाविद्यालय इस दिशा में सतत् कार्य करता है।
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय शंकर नगर रायपुर में आज दिनांक 23/0 2/19 को मुक्ता फाउंडेशन द्वारा बच्चों के लैंगिक शोषण से रोकथाम एवं भय मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत मुक्ता फाउंडेशन के संचालक डॉक्टर श्रीमती एन.वी. अश्वनी साइकोलॉजिस्ट,कु. शिवानी श्रीवास्तव चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट एवं डॉक्टर श्रीमती एस. श्रीवास्तव चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट ने छात्राध्यापकों को बच्चों के साथ होने वाले लैंगिक शोषण से अवगत कराया गया। हम अभी तक केवल गुड टच एवं बैड टच के बारे में बच्चों को बताते हैं परंतु लैंगिक शोषण करने वाले स्पर्श किये बिना भी अपनी अश्लील हरकतों से ग्रुमिंग द्वारा लैंगिक शोषण करते हैं तथा मानसिक प्रताड़ना देते हैं । उनसे भी बच्चों को सावधान करना होगा । बच्चे अपने साथ होने वाले लैंगिक शोषण से संबंधित कोई बात नहीं कर पाते हैं परंतु कुछ संकेत जरूर देते हैं उन विभिन्न प्रकार के संकेतों को सभी शिक्षकों एवं पालकों को समझने की जरूरत है । यह संकेत कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे अचानक व्यवहार में परिवर्तन, किसी वस्तु पर गुस्सा निकालना, कोई नई हरकत करना इत्यादि इसके लिए बच्चों को डांटने के बजाय उन्हें समझने की जरूरत है लैंगिक शोषण केवल लड़कियों का ही नहीं होता बल्कि लड़कों के साथ भी होता है। अतः उन्हें भी सावधान करने की जरूरत है बच्चों को सेफ्टी रूल्स से अवगत करा कर लैंगिक शोषण की रोकथाम करने में सक्षम बनाना चाहिए इस कार्यक्रम में समन्वयक सहायक प्राध्यापक श्रीमती विजयलक्ष्मी एवं संस्था के अकादमिक सदस्य उपस्थित थे । मंच संचालन छात्राध्यापक श्री संजय इक्का कर रहे थे
शासकीय शिक्षक शिक्षा महा विद्यालय शंकर नगर रायपुर में एम. एड. 2nd सेमेस्टर के छात्राध्यापको के लिए"शोध शीर्षक चयन एवं प्रस्ताव निर्माण कार्यशाला'' का आयोजन किया गया।दिनांक 11/02/19से 15/02/19तक चलने वाले इस कार्यशाला में डॉ. एस जी शर्मा (सेवानिवृत प्राचार्य,शासकीय एल एम महाविद्यालय आमगाॅव ,गोंदिया) ने शोध संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी।जिसके अन्तर्गत शोध के शीर्षक का चयन,उद्देश्य,परिकल्पना,डाटा संग्रहण,गणना एवं निष्कर्ष से संबंधित छात्राध्यापकों के जिज्ञासा का समाधान किया गया । इस दौरान डाॅ एस जी शर्मा एवं समन्वयक स. प्रा. श्रीमती विजयलक्ष्मी ने प्रत्येक छात्राध्यापक द्वारा लाये गए 5-5 शीर्षकों में से उपयुक्त शीर्षक का चुनाव किया ।शीर्षक का चुनाव करते समय छोटी - छोटी बातों पर विशेष ध्यान दिया गया जैसे सही शब्दों का चयन , प्रतिदर्श का चुनाव ,सही प्रश्नों का निर्माण करना आदि। इस अवसर पर संस्था केसभी एकेडेमीक सदस्यों का मार्गदर्शन मिला।