शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय, रायपुर में एन.सी.एफ 2009 पर आधारित नवीन पाठ्यक्रम की मंशा के अनुरूप कला की विधाओं को पाठ्यक्रम का अंतिम अंग मानते हुए, कक्षा शिक्षक में इनकी प्रभाविता और महत्व को देखते हुए रंगमंच तथा कला शिक्षा कार्यशाला का आयोजन दिनांक 10.01.2017 से किया गया। जिसमें कला की विभिन्न विधायें कक्षाकक्ष को संचालित करने तथा अधिगम को मजबूत करने के लिए किस तरह से महत्वपूर्ण है यह बताया जा रहा है। इस कार्यशाला/कैंप के उद्देश्य निम्नांकित हैं -
रंगमंच से संबंधित बारीकियों को जानना।
रंगमंच को कक्षा कक्ष की प्रक्रियाओं से जोड़ने की समाज विकसित करना।
कला शिक्षण से कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाना।
स्लो लर्नर तथा स्टोशल बच्चों के समावेशी कक्षा शिक्षण की समक्ष कला शिक्षण के माध्यम से बनाना।
नैसर्गिक प्रतिभा का विकास करना।
अभिव्यक्ति क्षमता का विकास करना।
कक्षा के माध्यम से शिक्षण संवेदनशीलता का विकास करना और कक्षा के बाह्य और आंतरिक
वातावरण को प्ररेणावाद बनाना।
कक्षा में प्रजातांत्रिक एप्रोच विकसित करना आदि।
महाविद्यालय के बी.एड. तथा एम.एड. के लगभग चार सौ प्रशिक्षार्थियों को चार समूहों में
विभक्त कर इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें रंगमंच तथा अन्य विधाओं के ख्यातिलब्ध स्त्रोत व्यक्ति श्री शिवदास जी घोडके, प्रोफेसर, ऐकेडमिक आॅफ थियेटर आर्टस यूनी. आॅफ मुम्बई (महाराष्ट्र) श्रीमती रचना मिश्रा,- छ.ग. फिल्म एवं विजुअल आर्ट सोसायटी, श्री सुहास बंसोड़- इप्टा (रायपुर), श्री क्रांति दीक्षित- छ.ग. विजुअल आर्ट सोसायटी इप्टा (रायपुर) श्री निशु पाण्डे - रायपुर इप्टा, श्री शिवाशीष चटर्जी- डिजायर डांस अकेडमी डायरेक्टर- छ.ग. श्री आकाश सोनी- राष्ट्रीय स्तर के क्लासिकल नृत्यकार, सूश्री अर्चना ध्रुव- भारतीय जन नाट्यसंघ- (भिलाई-इप्टा) तथा जगनाथ साहू- ज्वा. सेकेट्ररी इंडियन पी. थियेटर एसो. (भिलाई-इप्टा) प्रशिक्षार्थियों के साथ कला और कक्षा शिक्षण की प्रभाविता पर कार्य कर रहे है। आंशिक अभिनय, मिरट अभिनय, कुछ वाक्यों का त्वरित अभ्यास, चेहरे का भाव पढ़ना, शारीरिक मुद्राओं से कक्षा शिक्षण की बोझिलता को खत्म करना, विद्यार्थियों में आत्मविश्वास बढ़ाना विषय वस्तु को नवीन माध्यमों से आत्मसात कराने का प्रयास कराना आदि बारीकियों पर विस्तार से कार्य किया जा रहा है।