महाविद्यालय में ’’साथी’’ संदर्शिका पर प्रशिक्षण
शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय रायपुर काफी प्रयासरत् है। महाविद्यालय जहाॅ राज्य के 17 जिलों के हायर सेकण्डरी व हाई स्कूलों का सीधा माॅनिटरिंग करता है वही डाइट के माध्यम से प्रारंभिक शिक्षा का भी माॅनिटरिंग करता है। राज्य की शिक्षा गुणवत्ता व ए.पी.जे. अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान से प्रभावित होकर महाविद्यालय ने साथी नामक संदर्शिका का विकास किया है जिसमें प्रारंभिक विद्यालयों (कक्षा 01 से 08) की शिक्षा गुणवत्ता हेतु संकुल शैक्षिक समन्वयकों के माॅनिटरिंक प्रक्रिया पर जिक्र किया गया है। इसके साथ ही बी.आर.सी. एवं डाइट स्तर पर माॅनिटरिंग की क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए इसके बारे में भी उल्लेख है।
’’साथी’’ प्रशिक्षण संदर्शिका का प्रायोगिक तौर पर रायपुर डाइट द्वारा गरियाबंद, बलौदाबाजार एवं रायपुर जिले के डाइट दुर्ग द्वारा बालोद एवं दुर्ग जिले तथा डाइट खैरागढ़ द्वारा राजनांदगांव के शैक्षिक समन्वयकों को प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण की सफलता एवं मांग को ध्यान में रखते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. योगेश शिवहरे एवं कार्यक्रम समन्वयक श्री सुनील मिश्रा ने यह योजना तैयार किया की माॅनिटरिंग की प्रक्रिया को क्यों न दुरूस्त किया जाये और इसे महाविद्यालय के क्षेत्रान्तर्गत पूरे 17 जिलों में इसे विस्तार किया जाये। इस तारतम्य में प्रत्येक जिलों के डाइट के एक प्रतिनिधि एक बी.आर.सी.सी. (जहाॅ डाइट नही है वहाॅ के दो बी.आर.सी.सी) तथा दो सी.ए.सी. को बुलाकर दिनांक 16.01.2017 से 19.01.2017 तक 04 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
इस प्रशिक्षण में प्रथम दिवस माॅनिटरिंग प्रक्रिया पर चर्चा हुई जिसमें विद्यालय स्तर, संकुल स्तर, बी.आर.सी. स्तर तथा डाइट स्तर पर शिक्षा गुणवत्ता को लेकर विभिन्न समस्याओं को उजागर किया गया द्वितीय दिवस माॅनिटरिंग के विभिन्न स्तरों के उत्तरदायित्व तथा समस्याओं एवं इनका निराकरण कैसे किया जाये इस पर काफी विस्तृत चर्चा हुई। तृतीय दिवस डाइट रायपुर के अभ्यास शाला में प्रशिक्षण के प्रतिभागियों को आठ समूह में बांटकर कक्षा 01 से 08 तक माॅनिटरिंग किया गया जो इस प्रशिक्षण का प्रायोगिक भाग था। माॅनिटरिंग के उपरान्त महाविद्यालय में आकर विश्लेषण किया गया जिसमें यह निकलकर आया कि कक्षा में केवल 50 प्रतिशत बच्चें ही सीख पा रहे है इस पर प्रशिक्षण में काफी चिन्ता व्यक्त की गई तथा इन समस्या से निजात पाने हेतु तकनीको को खोजने का प्रयास किया गया। चतुर्थ दिवस संकुल बैठक, चर्चा पत्रक एवं प्रतिवेदन पर चर्चा हुई एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. योगेश शिवहरे ने प्रतिभागियों से सीधी बातचीत की बातचीत के दौरान प्रतिभागियों द्वारा यह मांग किया गया की इस प्रशिक्षण को प्रत्येक जिला के संकुल समन्वयकों को दिया जाये तथा प्रत्येक तीन माह में नियमित रूप से इस पर बैठक हो जिसे प्राचार्य महोदय ने सहर्ष स्वीकार किया। प्रशिक्षण के मुख्य प्रशिक्षक श्री सुनील मिश्रा रहे तथा सहयोगी के रूप में श्री मनोज पण्डा, राजकुमार आंवले, श्रीमती लक्ष्मी देवांगन एवं श्रीमती प्रतिमा अगलावे थे प्रशिक्षण का समापन प्राचार्य के धन्यवाद ज्ञापन से हुई।