शिक्षक शिक्षा व्यवस्था का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है। व्यवस्था, गुणवत्ता को प्रभावित करती है, जिसमें अकादमिक के साथ व्यावसायिक योग्यता, कुशलता भी जरूरी है जो समय के अनुभव के साथ क्रमशः व्यावहारिक सोपान गढ़ते हैं और तभी कुशल, सभ्य एवं सुसंस्कृत नागरिकों का समाज बना सकते हैं। मात्र यही साधना हमारा अप्रतिम उत्तरदायित्व है। महाविद्यालय में छात्राध्यापकों के सृजनात्मक ज्ञान का विकास करना महाविद्यालय का मुख्य उद्देश्य है। महाविद्यालय में छात्राध्यापक अलग-अलग परिवेश से आते हैं इनकी योग्यताओं और कौशलों में काफी विविधता रहती है। प्राध्यापकगण छात्राध्यापकों में निखार लाकर यह प्रयास करते हैं कि वे एक उत्कृष्ट शिक्षक के रूप में तब्दील हो सकें। उपरोक्त उद्वेश्य को ध्यान में रखते हुए महाविद्यालय में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। महाविद्यालय में हर वर्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है । इस वर्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ दिनांक 05 मार्च 2020 से 06 मार्च 2020 को सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम महाविद्यालय में का उदघाटन मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री माननीय श्री डॉं प्रेमसाय सिह जी के कर कमलों से एवं संचालक श्री जितेन्द्र शुक्ला जी. एस.सी.ई.आर.टी.की उपस्थिती में हुआ।
कार्यक्रम का सफल संचालन प्राचार्य श्रीमती जे एक्का के सरंक्षण एवं कुशल मार्ग दर्शन में सांस्कृतिक समन्वयक श्रीमती लता मिश्रा द्वारा समस्त अकादमिक सदस्यो के सहयोग से सम्पन्न किया गया। इसमंे विभिन्न विधाओ में व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों प्रकार के कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंर्तगत एकल गान, एकल नृत्य, युगल गान, समूह अभिनय, एकांकी, प्रहसन आदि का प्रदर्शन किया गया।
जिसमें सदनवार श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रशिक्षणार्थियों का चयन किया जाता है। जिसमें सर्वोत्तम पुरूष कलाकार का पुरस्कार, सर्वोत्तम महिला कलाकार का पुरस्कार, सर्वोत्तम पुरूष सह-कलाकार का पुरस्कार, सर्वोत्तम महिला सह-कलाकार का पुरस्कार प्रथम, द्वितीय, तृतीय, को अतिथियों द्वारा पुरस्कार प्रदान जाता है ,जिससे प्रशिक्षणार्थियों में अंर्तनिहित सांस्कृतिक क्षमता को प्रदर्शन करने का अवसर प्राप्त होता है तथा सामूहिक प्रदर्शन से एक दूसरे से सांस्कृतिक कला की बारी कियों को सीखने एवं समझने का अवसर प्राप्त होता है। इस तरह के कार्यक्रमों से प्राध्यापकों एवं प्रशिक्षणार्थियों के मध्य मैतीपूर्ण संबंध स्थापित होते है जिससे सीखने सिखाने की प्रक्रिया में सकारात्मक प्रभाव परिलक्षित होता है। महाविद्यालय का वातावरण जीवंन एवं खुशनुमा हो जाता हजिसका एकीकृत परिणाम इस प्रकार है-
(सांस्कृतिक समन्वयक)
श्रीमती लता मिश्रा