दिनांक 23 मार्च 2018 को शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय शंकरनगर रायपुर के सभागार में अनुसंधान जैसे गुढ़ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
उक्त कार्यशाला में डाॅ. अशोक प्रधान, विभागाध्याक्ष, मानव शास्त्र, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए, एम.एड. प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्राध्यापको को रिसर्च की बारिकियो से अवगत कराया एवं छात्राध्यापकों से रूबरू होते हुये उन्होने बताया कि मष्तिष्क पटल पर जो वाक्यांश अंतस्थ कर जाता है, वही रिसर्च है।
अनुसंधान प्रक्रिया में 15 सोपानो का पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से विस्तार से चर्चा करते हुये एक अच्छे शोध में परिकल्पना, न्यादर्श और संबंधित साहित्य के महत्व को स्पष्ट किया तथा पुरानी परम्पराओं से निकल कर रिस्क होना और कुछ नवाचार करने अर्थात् बिना परिकल्पना के भी शोध किया जा सकता है, पर बल दिया साथ ही परिकल्पनाओं की पुष्टि के लिये किस प्रकार प्रारूप तैयार किया जाये जिससे शोध विधि एवं प्रविधियो के संबंध में निर्णय लिया जाय पर बिन्दुवार चर्चा की। डाॅ. अशोक प्रधान, विषय विशेषज्ञ ने महाविद्यालय के छात्राध्यापको को विश्वविद्यालय में आमंत्रित किया एवं ग्रंथालय में उपलब्ध अनुसंधान साहित्य तथा वेब रिसोर्सेस के समुचित उपयोग एवं साफटवेयर के माध्यम से आंकड़ो के विश्लेषण आदि के लिये प्रोत्साहित किया। प्रश्नोत्तरी सेक्शन में छात्राध्यापको ने अपनी समस्याओं का समाधान भी किया।
महाविद्यालय के एम.एड. विभाग के प्रमुख श्री यू.के. चक्रवर्ती (सहायक प्राध्यापक) ने रिसर्च के लिये कहा कि ‘‘रिसर्च एक सामान्य प्रक्रिया है न कि कोई हौवा‘‘ प्रायः विद्यार्थी रिसर्च को ‘हौवा‘ समझ लेते है, जिसका समाधान आवश्यक है।
कार्यशाला के आयोजक श्री आलोक शर्मा (सहायक प्राध्यापक) ने भी स्पष्ट किया कि रिसर्च में जितनी अधिक समस्या होगी उतना ही अच्छा रिसर्च का परिणाम अच्छा होगा। अतः समस्याओं से घबराना नही चाहिये बल्कि उसका ऐसा समाधान निकालना जिसमें हमारा रिसर्च समाजोपयोगी बन जाय।
कार्यशाला में महाविद्यालय के एम.एम प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्राध्यापको तथा समस्त अकादमिक सदस्यों की सहभागिता रही।